सिंधु घाटी सभ्यता के नोट्स: UPSC और NCERT के सिंधु घाटी सभ्यता Notes PDF

सिंधु घाटी सभ्यता, भारतीय उपमहाद्वीप में प्राचीन समय के एक महत्वपूर्ण सभ्यता का प्रतीक है, जिसने इतिहास, संस्कृति, और समृद्धि के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान किया। यह सभ्यता करीब 3300 ईसा पूर्व से 1300 ईसा पूर्व तक वर्तमान भारत, पाकिस्तान, और आस-पास के क्षेत्रों में विकसित हुई थी। इस सभ्यता को “इंदसर-सरस्वती सभ्यता” भी कहा जाता है, क्योंकि इसके प्रमुख स्थल सिंधु और सरस्वती नदियों के किनारे स्थित थे।

यह सभ्यता विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक हैं। हम नीचे सिंधु घाटी सभ्यता के नोट्स मे Sindhu Ghati Sabhyata Notes, सिंधु घाटी सभ्यता UPSC Notes PDF, सिंधु घाटी सभ्यता NCERT PDF, Sindhu ghati sabhyata क्या है, विशेषताए और Map के बारे मे विस्तार से जानेंगे। नीचे हमारे द्वारा प्रदान किए गए लिंक से आप सिंधु घाटी सभ्यता PDF (Hindi मे) भी आसानी से Download कर पायेंगे।

सिंधु घाटी सभ्यता Notes

नीचे हम सिंधु घाटी सभ्यता Notes मे Sindhu Ghati Sabhyata का विस्तार, समय काल, प्रमुख स्थल, लिपि, पतन के कारण, राजनीतिक स्थिति, सामाजिक स्थिति, मूर्ति कला आदि के बारे में विस्तार से जानेंगे।

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सिंधु घाटी सभ्यता (AI Photo)

Sindhu Ghati Sabhyata Notes: Overview

  • 1826 – चार्ल्स मेसन ने सर्वप्रथम इस पर प्रकाश डाला।
  • 1853 – अलेक्जेंडर कनिंघम ने हड़प्पा का सर्वे किया।
  • 1856 – जॉन बर्टन एवं विलियम बर्टन लाहौर से कराँची के मध्य रेलवे लाइन बिछा रहे थे एवं उन्होंने अनजाने में हड़प्पा की ईंटों का प्रयोग किया।
  • 1856– अलेक्जेंडर कनिंघम ने दूसरी बार हड़प्पा का सर्वे किया।
  • 1861 – भारतीय पुरातत्व विभाग (ASI) की स्थापना।
  • * गवर्नर जनरल लाई केनिंग के समय अलेक्जेंडर कनिंघम को ASI का जनक कहलाता है।
  • 1921 – सर जॉन मार्शल ने दयाराम साहनी को उत्खनन करने हेतु नियुक्त किया।
  • 1922 – हड़प्पा में सर जॉन मार्शल ने राखालदास बनर्जी को मोहनजोदड़ो का उत्खननकर्ता नियुक्त किया ।
  • 1924 – सर जॉन मार्शल ने Sindhu ghati ki sabhyata/हड़प्पा सभ्यता की घोषणा की।

सिंधु घाटी सभ्यता की मुख्य विशेषताएँ

  1. नगरी शैली का उपयोग: सिंधु घाटी सभ्यता की सबसे पहचानी बात उनकी नगरी शैली के सेटलमेंट्स थे, जिनमें सड़कें, सूचना प्रणाली, सार्वजनिक स्नानघर, और सड़क पुल शामिल थे। इससे यह स्पष्ट होता है कि वे एक व्यवस्थित समाज विकसित करने में सफल रहे थे।
  2. प्रगतिशील जीवनशैली: सिंधु घाटी सभ्यता ने कृषि, व्यापार, और गृह-कृषि के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभाई थी। इसमें सुगर, जूट, और अन्य फसलों की खेती शामिल थी।
  3. भाषा और सिखाने की प्रणाली: सिंधु घाटी सभ्यता के लोगों की भाषा का ज्ञान है, लेकिन इसका विशेष रूप से अध्ययन और ज्ञान का सिस्टम भी था, जिसका प्रमुख साक्षरता केंद्र डोलावीरा था।
  4. धार्मिक और सांस्कृतिक प्रथाएँ: सिंधु घाटी सभ्यता के लोगों का धार्मिक जीवन भी प्रमुख था, और वे पशु पूजा, शिव और शक्ति की पूजा करते थे।
  5. गूढ़ लेखन और संकेत सिस्टम: इस सभ्यता की भाषा का पुर्नवमी लिपि में लिखा जाता था, जिसका अभिवादन आज तक नहीं हो पाया है। यह उनके गूढ़ संदेशों को समझने में समस्याओं का कारण बनता है।

हड़प्पा सभ्यता इतिहासकार पीग्गट ने हड़प्पा एवं मोहनजोदड़ो को सिन्धु घाटी सभ्यता की जुड़वाँ राजधानी कहा है।

सिंधु घाटी सभ्यता का विस्तार

अगर हम सिंधु घाटी सभ्यता के विस्तार (Sindhu Ghati Sabhyata Ka Vistar) की बात करे तो यह विश्व की सबसे बड़ी सभ्यता है।

Sindhu Ghati Sabhyata MAP
  • यह लगभग 13 लाख km² क्षेत्र में फैली हुई है।
  • यह भारत, पाकिस्तान एवं अफगानिस्तान में फैली हुई है।
  • यह त्रिभुजाकार सभ्यता है।
  • यह कांस्ययुगीन सभ्यता है।

सिंधु घाटी सभ्यता का समय काल

Sindhu Ghati Sabhyata के Time Period का निर्धारण C-14 पद्धति से किया जाता है।

  • 2600 – 1900 BC – नई NCERT के अनुसार।
  • 2350 – 1750 BC – पुरानी NCERT के अनुसार।
  • 3250 – 2750 BC – सारगोन अभिलेख के अनुसार (म. एशिया)।

सिंधु घाटी सभ्यता के प्रमुख स्थल

सिंधु घाटी के प्रमुख स्थलों में हड़प्पा, मोहनजोदड़ो, लोथाल, धौलावीरा, सुरकोटडा, देमाबाद, कुनाल, रोजदी , रोपड़, कालीबंगा आदि आते है।

स्थलखोजकर्त्ताअवस्थितिमहत्त्वपूर्ण खोज
हड़प्पादयाराम साहनी (1921)पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में मोंटगोमरी जिले में रावी नदी के तट पर स्थित है।मनुष्य के शरीर की बलुआ पत्थर की बनी मूर्तियाँ, अन्नागार, बैलगाड़ी
मोहनजोदड़ोराखलदास बनर्जी (1922)पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के लरकाना जिले में सिंधु नदी के तट पर स्थित है।विशाल स्नानागर, अन्नागार, पशुपति महादेव की मुहर, कांस्य की नर्तकी की मूर्ति, दाड़ी वाले मनुष्य की पत्थर की मूर्ति, बुने हुए कपडे
सुत्कान्गेडोरस्टीन (1929)पाकिस्तान के दक्षिण-पश्चिमी राज्य बलूचिस्तान में दाश्त नदी के किनारे पर स्थित है।हड़प्पा और बेबीलोन के बीच व्यापार का केंद्र बिंदु था।
चन्हुदड़ोएन .जी. मजूमदार (1931)सिंधु नदी के तट पर सिंध प्रांत मेंमनके बनाने की दुकाने, बिल्ली का पीछा करते हुए कुत्ते के पदचिन्ह
आमरी एन .जी. मजूमदार (1935)सिंधु नदी के तट परहिरण के साक्ष्य मिले है
कालीबंगनघोष (1953)राजस्थान में घग्गर नदी के किनारे।अग्नि वेदिकाएँ, ऊंट की हड्डियाँ, लकड़ी का हल
लोथलआर. राव (1953)गुजरात मे केम्बे की कड़ी के नजदीक भोगवा नदी के किनारेमानव निर्मित बंदरगाह, गोदीवाडा, चावल की भूसी, अग्नि वेदिकाएं, शतरंज का गेम
सुरकोतदाजे.पी. जोशी (1964)गुजरात मेघोड़े की हड्डियाँ, मनके
बनावलीआर.एस.विष्ट (1974)हरियाणा के हिसार जिले मेमनके, जौ
धौलावीराआर.एस.विष्ट (1985)गुजरात में कच्छ के रण में स्थितजल निकासी प्रबंधन, जल कुंड आदि

Sindhu Ghati Sabhyata Ke Pramukh Sthal विस्तार से निम्नलिखित है –

हड़प्पा (Harappa)

हड़प्पा (Harappa)
  • हड़प्पा सभ्यता मोंटगोमरी जिला, पाकिस्तान में स्थित है।
  • वर्तमान में शाहीवाल जिले में है।
  • रावी नदी के तट पर है।
  • उत्खननकर्त्ता – दयाराम साहनी
  • R- 37 कब्रिस्तान
  • विदेशी की कब्र
  • इक्का गाडी
  • शृंगार पेटिका
  • स्वास्तिक का निशान
  • नदी के तट पर 12 अन्नागार मिलते हैं जो दो लाइनों में है।
  • पास में अनाज साफ करने का चबूतरा मिलता है।
  • पास में श्रमिक आवास भी मिलते हैं।

मोहनजोदड़ो (Mohenjo Daro)

मोहनजोदड़ो सभ्यता लरकाना (सिन्ध, पाकिस्तान) जिले में स्थित है।

  • यह सभ्यता सिन्धु नदी के तट पर बसी थी।
  • उत्खननकर्ता- राखालदास बनर्जी
  • मोहनजोदड़ो (सिन्धी भाषा) का शाब्दिक अर्थ – मृतकों का टीला
Mohenjo Daro PHOTO

1. विशाल स्नानागार

  • आकार :- 39 x23 x 8 ft
  • इसके उत्तर व दक्षिण में सीढ़ियाँ बनी हुई है
  • इसमें बिटुमिनस का लेप किया गया है।
  • इसके उत्तर दिशा में 6 वस्त्र बदलने के कक्ष है।
  • तीन तरफ बरामदे है।
  • बरामदे के पीछे कई कक्ष बने हुए हैं।
  • जलापूर्ति हेतु कुँआ भी बना हुआ है।
  • सीढ़ियों के साक्ष्य भी मिलते हैं।
  • प्रथम तल पर सम्भवतया पुरोहित रहते होंगे ।
  • सम्भवतया यहाँ धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन किया जाता रहा होगा।
  • सर जॉन मार्शल ने इसे तात्कालिक समय की आश्चर्यजनक इमारत कहा है।

2. विशाल अन्नागार

3. महाविद्यालय के साक्ष्य

4. सूती कपड़े के साक्ष्य

5.हाथी का कपालखण्ड

6. नर्तकी की मूर्ति जो धातु की बनी हुई है।

  • यह नग्न है।
  • इसने एक हाथ में चूड़ियाँ पहन रखी है।

7. पुरोहित राजा की मूर्ति जो ध्यान की अवस्था में है।

  • इसने शॉल ओढ़ रखी है जिस पर कशीदाकारी का कार्य किया गया है।

8. यहाँ से मेसोपोटामिया की मुहर मिलती है।

लोथल (Lothal)

लोथल सभ्यता गुजरात में स्थित है।

  • यह भोगवा नदी के किनारे स्थित है।
  • उत्खननकर्ता = S.R. राव ( रंगनाथ राव )
  • यह एक व्यापारिक नगर था ।
  • यहाँ से गोदीवाड़ा (Dockyard) मिलता है।
  • (a) यह सिन्धु घाटी सभ्यता की सबसे बड़ी कृति है।
  • मनके ( Bead) बनाने का कारखाना। 
  • चावल के साक्ष्य। 
  • फारस की मुहर जो गोलाकार बटननुमा।
  • घोड़े की मृणमूर्तियाँ।
  • चक्की के दो पाट।
  • घरों के दरवाजे मुख्य मार्ग पर खुलते हैं [ एकमात्र ]।

धौलावीरा (Dholavira)

  • स्थिति = गुजरात
  • उत्खननकर्ता = रवीन्द्र सिंह बिष्ट
  • यह शहर किसी नदी के किनारे स्थित नहीं है।
  • यह शहर तीन भागों में विभाजित है:-
  1. पूर्व 
  2. मध्य
  3. पश्चिम
  • यहाँ से 16 कृत्रिम जलाशय मिलते हैं।
  • स्टेडियम के साक्ष्य
  • सूचना पट्ट जो पॉलिशयुक्त है।

चन्हुदड़ो (Chanhudaro Civilization)

  • स्थिति = सिन्ध ( Pakistan)
  • उत्खननकर्ता = N.G. मजूमदार
  • *इनकी हत्या डाकुओं ने कर दी थी।
  • यह एक औद्योगिक नगरी थी ।
  • मनके बनाने के कारखाने मिलते हैं।
  • कुत्ते द्वारा बिल्ली का पीछा करने के साक्ष्य

सुरकोटंडा (Surkotada Indus valley civilization)

सुरकोटंडा सिंधु घाटी सभ्यता के सबसे पश्चिमी स्थलों में से एक है और यह गुजरात के कच्छ जिले में स्थित है।

  • स्थिति = गुजरात
  • घोडे की हड्डियाँ
  • *सिन्धु घाटी सभ्यता के लोगों को घोड़े का ज्ञान नहीं था।

कुनाल (Kunal)

(i) चाँदी के दो मुकुट

(ii) यह हरियाणा में स्थित है।

दैमाबाद (Daimabad)

दैमाबाद (Damabad) सिंधु घाटी सभ्यता का महत्वपूर्ण स्थल है, जो सिंधु घाटी सभ्यता के समय के एक प्रमुख आवासीय स्थल के रूप में पहचाना गया है। यह स्थल पाकिस्तान के सिंध प्रांत में स्थित है।

  • धातु का रथ

रोजदी (Rojdi)

रोजदी गुजरात के सौराष्ट्र ज़िले में स्थित था। यहाँ से कच्ची ईटों के बने चबूतरों और नालियों सहित बिल्लौर एवं गोमेद पत्थर के बने बांट, गोमेद, विल्लौर के छेददार मनके और पक्की मिट्टी के मनके मिले है।

  • यह गुजरात में स्थित है।
  • हाथी के साक्ष्य।

रोपड़ (Ropar)

रोपड़ एक सिंधु घाटी बस्ती हुआ करती थी जो सतलुज नदी के तट पर स्थित थी। रोपड़ (रूपनगर) में हाल की खुदाई से पता चला है कि यह शहर एक अच्छी तरह से विकसित सिंधु घाटी सभ्यता का केंद्र हुआ करता था। रोपड़ स्वतंत्र भारत में सबसे पहले सिंधु घाटी खुदाई का स्थान है और पंजाब में स्थित है।

  • मनुष्य के साथ कुत्ते को दफनाने के साक्ष्य

कालीबंगा (Kalibanga)

कालीबंगा राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले का एक प्राचीन एवं ऐतिहासिक स्थल है। यहाँ सिंधु घाटी सभ्यता के महत्वपूर्ण अवशेष मिले है। सर्वप्रथम 1952 ई मे अमलानन्द घोस ने इसकी खोज की थी।

  • एक खोपड़ी जिसमें 6 छेद किए गए हैं अर्थात् इन लोगों को शल्य चिकित्सा का ज्ञान था।
कालीबंगा के बारे में अधिक नोट्स के लिए आप हमारा ये लेख देख सकते है

सिंधु घाटी सभ्यता का नगर योजना

सिंधु घाटी सभ्यता की नगर योजना (Sindhu ghati sabhyata nagar niyojan) निम्न प्रकार से थी –

  • यह विश्व की प्रथम नगरीय सभ्यता थी।
  • यह अपनी विशिष्ट नगर नियोजन के लिए प्रसिद्ध है।
  • नगर दो भागों में बँटे हुए होते थे –
  1. पूर्वी भाग – यह आवासीय भाग होता था ।
  2. पश्चिमी भाग– यह हिस्सा दुर्गीकृत होता था एवं ऊँचे टीले पर स्थित होता था।
  • सड़के एक-दूसरे को समकोण पर काटती थी।
  • शहर एक पैटर्न पर बसे हुए होते थे।
  • घरों के दरवाजे मुख्य मार्ग पर नहीं खुलते थे।
  • *अपवाद= लोथल
  • एक घर में सामान्यत: 3 या 4 कक्ष, रसोई, आँगन होता था।
  • उन्हें सीढ़ियों का भी ज्ञान था।
  • कुछ घरों से कुओं के साक्ष्य भी मिलते हैं।
  • मोहनजोदड़ो से लगभग 700 कुएँ प्राप्त होते हैं।
  • इन नगरों में उत्कृष्ठ जल निकासी व्यवस्था (drainage system of indus valley civilization) होती थी।
  • मुख्य मार्ग पर नालियों को साफ करने के लिए मेन हॉल होता था।
  • नालियों को ईंटों से ढका जाता था ।
  • सामान्यत: पक्की ईंटों का प्रयोग करते थे
  • ईंटो का आकार 4x2x1 होता था ।

सिंधु घाटी सभ्यता का राजनैतिक जीवन

सिंधु घाटी सभ्यता के राजनैतिक जीवन के बारे मे जानकारी का अभाव है।

संभवतया पुरोहित वर्ग के पास में शासन रहा होगा।

सम्पूर्ण सिन्धु घाटी सभ्यता में एक ही प्रशासनिक व्यवस्था रही होगी।

सिंधु घाटी सभ्यता की मार्मिक स्थिति

सिंधु घाटी सभ्यता की सामाजिक स्थिति निम्न प्रकार से थी –

मातृसत्तात्मक संयुक्त परिवार होते थे।

समाज संभवत: 4 भागों में विभाजित था।

  1. पुरोहित वर्ग
  2. व्यापारी वर्ग
  3. किसान वर्ग
  4. श्रमिक वर्ग

बड़ी मात्रा में मातृदेवियों की मूर्ति मिलती है।

यह शान्तिप्रिय लोग थे क्योंकि अत्यन्त कम मात्रा में हथियार मिलते है।

पुरुष एवं महिलाएँ श्रृंगार करते थे एवं जवाहरात पहनते थे।

लोग शाकाहारी व माँसाहारी थे।

शतरंज एवं मुर्गे की लड़ाई इनके प्रिय खेल थे ।

अन्तिम संस्कार की तीनों विधियों का प्रचलन था –

  1. पूर्ण शवाधान
  2. आंशिक शवाधान
  3. दाह संस्कार

यह आत्मा व पुर्नर्जन्म में विश्वास करते थे।

लोधल से 3 व कालीबंगा से एक युग्मित शवाधान मिलता है।

सिंधु घाटी सभ्यता की धार्मिक स्थिति

सिंधु घाटी सभ्यता की धार्मिक स्थिति निम्न प्रकार से थी –

  • प्राकृतिक बहुदैववाद में विश्वास करते थे।
  • पुरुष एवं महिला देवताओं को पूजते थे।
  • इस काल में देवताओं की मूर्तियाँ मिलती है लेकिन मन्दिर बनना आरंभ नहीं हुए थे।
  • ये अन्धविश्वासी थे।
  • ये जादू, टोने, टोटके में विश्वास करते थे।
  • बलि प्रथा में विश्वास करते थे।
  • कालीबंगा से हवनकुंड मिलते हैं।
  • यह वृक्ष पूजा, जल पूजा, लिंग पूजा (योनि पूजा) में विश्वास करते थे।
  • इन्हें ध्यान एवं योग का ज्ञान था।
  • मोहनजोदड़ो से एक मुहर मिलती है जिस पर “आय शिवा ” का चित्र मिलता है।
  • सर जॉन मार्शल नें इन्हें पशुपतिनाथ कहा है।

सिंधु घाटी सभ्यता की आर्थिक स्थिति

सिंधु घाटी सभ्यता की आर्थिक स्थिति निम्न प्रकार थी-

  • ‘कृषि आधारित’ अर्थव्यवस्था थी।
  • अधिशेष उत्पादन होता था जिन्हें बड़े बाजारों शहरों में बेचा जाता था।
  • गेहूँ, सरसों, चना, मटर, रांगी प्रमुख फसलें थी ।
  • इन्हें चावल एवं बाजरे का ज्ञान नहीं था।
  • लोथल से चावल के साक्ष्य मिलते हैं।
  • रंगपुर (गुजरात) से चावल की भूसी मिलती है।
  • रंगपुर उत्तर हड़प्पन स्थल हैं।
  • शोर्तुगई (अफगानिस्तान)(Oxus River के किनारे) से नहरों के साक्ष्य मिलते हैं।
  • धौलावीरा से जलाशय के साक्ष्य मिलते हैं।
  • यह पशुपालन भी करते थे।
  • गाय, भैंस, भेड़, बकरी, खरगोश, कुत्ता एवं बिल्ली इनके प्रिय पशु थे।
  • यह ऊँट, घोड़ा, हाथी से परिचित नहीं थे।
  • विदेशी व्यापार होता था।
  • सारगोन अभिलेख में सिन्धु घाटी सभ्यता को “मेलुहा” कहा गया।
  • मेलुहा नाविकों का देश है।
  • मेलुहा हाजा (मोर के लिए प्रयुक्त) पक्षी के लिए प्रसिद्ध है।
  • सारगोन अभिलेख में कपास को सिण्डन कहा गया है।
  • कपास की विश्व में प्रथम खेती भारत में हुई।
  • दिलमून (बहरीन) व भाखन (ओमान) मध्यस्थ का कार्य करते थे।
  • मुद्रा व्यवस्था का प्रचलन नहीं था।
  • वस्तु विनिमय होता था।
  • यह सोने व चाँदी का प्रयोग करते थे।
  • लोहे से परिचित नहीं थे ।
  • ताँबा + टिन = कांस्य
  • बालाकोट ( Pak.) से शंख उद्योग के अवशेष मिलते हैं।

सिंधु घाटी सभ्यता की लिपि

सिंधु घाटी सभ्यता की लिपि भाव चित्रात्मक लिपि थी।

  • इन्हें लिपि का ज्ञान था।
  • यह दांये से बांये लिखी जाती थी ।
  • इसे गौमूत्राक्षर लिपि भी कहा जाता है।
  • इसमें 375-400 भाव मिलते हैं।
  • इसे अभी तक पढ़ा नहीं गया है।

सिंधु घाटी सभ्यता की मूर्तिया ओर मोहरे

सिंधु घाटी सभ्यता में 3 तरह की मूर्तियाँ मिलती हैं-

  1. धातु की
  2. पत्थर की
  3. मिट्टी की (टेराकोटा)
  • मोहनजोदड़ों से नर्तकी की मूर्ति (धातु की)।
  • दैमाबाद से धातु का रथ।
  • मोहनजोदड़ो रो पत्थर की पुरोहित राजा की मूर्ति।
  • टेराकोटा की मातृदेवियों की मूर्तियाँ।
  • ज्यादातर मुहरें शैलखड़ी की बनी हुई है।
  • ज्यादातार मुहरें चौकोर हुआ करती थी ।
  • मुहरें वस्तुओं की गुणवत्ता एवं व्यक्ति की पहचान की घोतक होती थी।
  • मुहरों पर एकसिंगा (एकशृंगी सबसे ज्यादा)।
  • मोहनजोदड़ो व हड़प्पा से बड़ी मात्रा में मुहरें प्राप्त होती है।
  • कूबड़ वाला सांड के चित्र।

सिंधु घाटी सभ्यता के पतन के कारण

Sindhu Ghati Sabhyata Ke Patan Ke Karan क्या रहे किसी को नही पता लेकिन बहुत से विद्वानों ने “सिंधु घाटी सभ्यता के पतन के कारण” के अलग- अलग मत दिए जो निम्नलिखित है-

  • गार्डन चाइल्ड व मार्टीमर व्हीलर के अनुसार – आर्यो का आक्रमण
  • S.R. राव, सर जॉन मार्शल व मैके के अनुसार – बाढ़ 
  • सर जॉन मार्शल के अनुसार – प्रशासनिक शिथिलता
  • अमलानन्द घोष के अनुसार – जलवायु परिवर्तन
  • U.R. केनेडी के अनुसार- प्राकृतिक आपदा
  • माधोस्वरूप वत्स के अनुसार – नदियों ने अपना रूख बदल दिया

निष्कर्ष – इतनी विशाल सभ्यता के पतन के लिए बहुत सारे कारण जिम्मेदार / उत्तरदायी रहे होंगें।

कालीबंगा, राखीगढ़ी (HR), धौलावीरा – पूर्व हड़प्पाकालीन स्थल

रंगपुर, रोजदी – उत्तर हड़प्पाकालीन स्थल

सिंधु घाटी सभ्यता Notes PDF

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सिंधु घाटी सभ्यता इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण टोपिकों में से एक है जिसके सवाल लगभग सभी प्रतियोगी परीक्षा में पूछे जाते है। सिन्धु घाटी सभ्यता जिसे हड़प्पा सभ्यता के नाम से भी जाना जाता है इतिहास के सबसे बड़े खोज में से एक है। इतिहासकारों का कहना है की यह सभ्यता बहुत ही बड़ी सभ्यता थी और यह उस समय की एक शहरी सभ्यता थी, जिसकी संरचना आज के शहरो से भी अच्छी थी।

Sindhu Ghati Sabhyata Notes PDF

सिंधु घाटी सभ्यता PDF का महत्व

सिंधु घाटी सभ्यता, जिसे इंग्लिश में “Indus Valley Civilization” भी कहा जाता है, एक प्राचीन सभ्यता थी जो भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तर-पश्चिमी हिस्से, जैसे कि भारत, पाकिस्तान, और अफगानिस्तान के कुछ हिस्सों में स्थित थी।

सिंधु घाटी सभ्यता Notes PDF का महत्व निम्नलिखित कारणों से हो सकता है:

  1. शिक्षा के उद्देश्य: Sindhu Ghati Sabhyata Notes PDF, विद्यार्थियों और शिक्षार्थियों के लिए एक महत्वपूर्ण शिक्षासामग्री के रूप में कार्य कर सकता है, जो इस प्राचीन सभ्यता के बारे में अधिक जानने के इच्छुक हैं।
  2. प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए: बहुत सारी सरकारी प्रतियोगी परीक्षाओं में सिंधु घाटी सभ्यता के बारे में प्रश्न पूछे जाते हैं। सिंधु घाटी सभ्यता PDF, इन परीक्षाओं की तैयारी करने वाले उम्मीदवारों के लिए उपयोगी हो सकती है।
  3. इतिहास और संस्कृति का अध्ययन: इस सभ्यता के अध्ययन से, लोग भारतीय इतिहास और संस्कृति के महत्वपूर्ण पहलुओं को समझ सकते हैं, जो आज के समय में भी महत्वपूर्ण हैं।
  4. अर्थशास्त्र और वाणिज्य का अध्ययन: Sindhu Ghati Sabhyata ने व्यापार और वाणिज्य के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण योगदान किया था। इसलिए, विपणियों और व्यवसायिक अध्ययन करने वाले विद्यार्थियों के लिए भी यह महत्वपूर्ण है।
  5. सामाजिक और सांस्कृतिक अध्ययन: Sindhu Ghati Sabhyata ने सामाजिक और सांस्कृतिक प्रथाओं का अध्ययन करने के लिए भी अवसर प्रदान किया है। इसके अध्ययन से, आप समाज के ढांचे, धार्मिक प्रथाएँ, कला, और जीवनशैली के बारे में जान सकते हैं।

इसलिए सिंधु घाटी सभ्यता PDF एक महत्वपूर्ण स्रोत हो सकता है जो विभिन्न क्षेत्रों में शिक्षा, अध्ययन, और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए उपयोगी हो सकता है।

सिंधु घाटी सभ्यता UPSC Notes PDF

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सिंधु घाटी सभ्यता NCERT PDF

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सिंधु घाटी सभ्यता PDF के बहुविकल्पीय प्रश्न

Kya Sindhu Ghati Sabhyata Sabhyata mein kapas paida hoti thi?

Yes, Sindhu Ghati Sabhyata Sabhyata mein kapas paida hoti thi.

Sindhu Ghati Sabhyata ki khoj kisne ki?

Sindhu Ghati Sabhyata ki khoj Rai Bahadur Dayaram Sahani ne ki.

Sindhu Ghati Sabhyata ke nirmata the?

Sindhu Ghati Sabhyata ke nirmata Dravid the.

Sindhu Sabhyata mein sona kis sthan se milta tha?

Sindhu Sabhyata mein sona Sindhu River or Mysore se milta tha.

Sindhu Ghati Sabhyata ki khoj kab hui?

Sindhu Ghati Sabhyata ki khoj 1921 me hui.

Sindhu Ghati Sabhyata ke avshesh kahan kahan milte hain?

Sindhu Ghati Sabhyata ke avshesh sindhu me mohanjo daro or pashchim Bangal me hadappa me mile hain.

Sindhu Ghati Sabhyata ki lipi?

Sindhu Ghati Sabhyata ki lipi bhav chitra tamak lipi thi jise abhi tak padha nhi gya hai.

Sindhu Ghati Sabhyata ka devta kaun tha?

Sindhu Ghati Sabhyata ka devta pashupati nath or martdevi ki murti thi.

Sindhu Ghati Sabhyata kitni purani hai?

Sindhu Ghati Sabhyata 8000 sal purani hai.

Sindhu Ghati Sabhyata ki sabse mehatpur visheshta kya hai?

Sindhu Ghati Sabhyata ki sabse mehatpur visheshta Nagar Niyojan hai.

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