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कालीबंगा सभ्यता के नोट्स PDF Download करने के लिए इस समय में हमें कई प्रश्नों का सामना करना पड़ता है। कालीबंगा सभ्यता की खोज किसने की थी, और इस सभ्यता की विशेषताएं क्या हैं, यह सभी प्रश्न हमारे मन में उत्पन्न होते हैं। इस सभ्यता का उत्खनन किसके निर्देशन में हुआ और इसके बारे में बताइए। कालीबंगा सभ्यता का समय और स्थान, उसकी विशेषताएं और कहां स्थित है, ये सभी जानकारी हमें इस सभ्यता के रहस्यों के पीछे की कहानी समझने में मदद कर सकती हैं। कालीबंगा सभ्यता के नोट्स PDF डाउनलोड करके हम इसके अध्ययन में गहराई से जा सकते हैं और इसके प्रश्नों का उत्तर खोज सकते हैं।
कालीबंगा सभ्यता के नोट्स को एक्सपर्ट टीम ने तैयार किया है , जो कोचिंग संस्थानों पर पढ़ाते हैं , इसलिए नोट्स की भाषा इतनी सरल है की कोई भी तथ्य एक बार पढने से समझ में आ जाएगा।
Kalibanga Sabhyata Ke Notes
Kalibanga Sabhyata Ke Notes मे जानेंगे की कालीबंगा सभ्यता हनुमानगढ़ जिले में विकसित हुई थी। हनुमानगढ़ जिले में एक अन्य सभ्यता जिसे पीलीबंगा की सभ्यता कहते हैं, विकसित हुई।
इस सभ्यता की सबसे पहले जानकारी देने वाले एक पुरातत्ववेत्ता एवं भाषा शास्त्री लुईस पीयो तैस्सीतोरी थे। इन्होंने इस सभ्यता के बारे में सबसे पहले परिचय दिया। लेकिन इस सभ्यता की तरफ किसी का पूर्णरूप से ध्यान नहीं था इसलिए इसकी खोज नही हो पाई।
Kalibanga Sabhyata के खोजकर्ता अमलानंद घोष है। उन्होनें 1952 में सबसे पहले इस सभ्यता की खोज की थी।
इनके बाद कालीबंगा सभ्यता के नोट्स मे देखेंगे की इस सभ्यता की खोज दो अन्य व्यक्तियों के द्वारा भी की गई थी जो 1961 से 1969 तक चली भी।
- बृजवासीलाल
- बीके (बालकृष्ण) थापर
इन्हीं दोनों ने इस सभ्यता की विस्तृत रूप से खोज की थी।
लुईस पियो तैस्सीतोरी का जन्म –
लुईस पियो तैस्सीतोरी का जन्म इटली में सन् 1887 में हुआ था और यह 1900 ईस्वी में भारत आए। यह बीकानेर राज्य में सबसे पहले आए। उस समय के तत्कालीन राजा महाराजा गंगा सिंह जी ने इन्हें अपने राज्य का सभी प्रकार का चारण साहित्य लिखने की जिम्मेदारी दी। बीकानेर संग्रहालय भी इन्होंने ही बनवाया है।
Kalibanga Sabhyata का कालक्रम कार्बन डेटिंग पद्धति के अनुसार 2350 ईसा पूर्व से 1750 ईसा पूर्व माना जाता है।
कालीबंगा शब्द “सिंधी भाषा” का एक शब्द है जिसका शाब्दिक अर्थ होता है – “काले रंग की चूड़ियाँ“। इस स्थल से काले रंग की चूड़ियों की बहुत सारी ढेर प्राप्त हुए इसलिए इस सभ्यता को कालीबंगा सभ्यता नाम दिया गया।
कालीबंगा की सभ्यता भारत की ऐसी पहली सभ्यता स्थल है जो स्वतंत्रता के बाद खोजी गई थी। यह एक कास्य युगीन सभ्यता है।
हनुमानगढ़ जिले से इस सभ्यता से संबंधित जो भी वस्तुएं प्राप्त हुई है उनको सुरक्षित रखने के लिए राजस्थान सरकार के द्वारा 1985 – 86 में कालीबंगा संग्रहालय की स्थापना की गई थी। यह संग्रहालय हनुमानगढ़ जिले में स्थित है।
Kalibanga Sabhyata Ke Notes कालीबंगा सभ्यता की विशेषताएं
Kalibanga Sabhyata ki Visheshta: इस सभ्यता की सड़कें एक दूसरे को समकोण पर काटती थी इसलिए यहां पर मकान बनाने की पद्धति को “ऑक्सफोर्ड पद्धति” कहते हैं। इसी पद्धति को जाल पद्धति, ग्रीक, चेम्सफोर्ड पद्धति के नाम से भी जानते हैं।
- मकान कच्ची एवं पक्की ईंट के बने हुए थे, आरम्भ मे यह कच्ची ईटे थी इसलिए इस सभ्यता को दीन हीन सभ्यता भी कहते हैं इन ईटों का आकार 30x75x7.5 है।
- इन मकानों की खिड़की एवं दरवाजे पीछे की ओर होते थे।
- यहां पर जो नालियां बनी हुई थी वह लकड़ी (काष्ठ) की बनी होती थी। आगे चलकर इन्हीं नालियों का निर्माण पक्की ईटों से होता था (विश्व में एकमात्र ऐसा स्थान जहां लकड़ियों की बनी नालियां मिली है वह कालीबंगा स्थल है)
- विश्व की प्राचीनतम जुते हुए खेत के प्रमाण इसी सभ्यता से मिलते हैं।
- यहां पर मिले हुए मकानों के अंदर की दीवारों में दरारें मिलती हैं इसलिए माना जाता है कि विश्व में प्राचीनतम भूकंप के प्रमाण यहीं से प्राप्त होते हैं।
- यहां के लोग एक साथ में दो फसलें (जौ और गेंहू) करते थे अर्थात् फसलों के होने के प्रमाण भी यही से मिलते हैं।
- यहां पर उत्खनन के दौरान यज्ञकुंड / अग्नि वेदिकाएं प्राप्त हुए हैं यहां के लोग बलिप्रथा में भी विश्वास रखते थे।
- इस सभ्यता का पालतू जानवर कुत्ता था । यह सभ्यता के लोग ऊंट से भी परिचित थे । इसके अलावा गाय, भैंस, बकरी, घोड़ा से भी परिचित थे।
- विश्व में प्राचीनतम नगर के प्रमाण यहीं पर मिले हैं, इसलिए इसे नगरीय सभ्यता भी कहते हैं यहां पर मूर्तिपूजा, देवी / देवता के पूजन, चित्रांकन या मूर्ति का कोई प्रमाण नहीं मिला है।
- यहां पर समाधि प्रथा का प्रचलन था। यह समाधि तीन प्रकार की मिलती है अर्थात् तीन प्रकार से मृतक का अंतिम संस्कार किया जाता था।
- अंडाकार गड्डे खोद कर व्यक्ति को दफनाना । इस गड्ढे में व्यक्ति का सिर उत्तर की ओर पैर दक्षिण की ओर होते थे।
- अंडाकार गड्डे खोदकर व्यक्ति को तोड़मरोड़ कर इकट्ठा करके दफनाया जाता था।
- एक खड्डा खोदकर व्यक्ति के साथ आभूषण को दफनाना।
- स्वास्तिक चिन्ह का प्रमाण इसी कालीबंगा सभ्यता से प्राप्त होता है इस स्वास्तिक चिन्ह का प्रयोग यहां के लोग वास्तुदोष को दूर करने के लिए किया करते थे।
- कालीबंगा की सभ्यता और मेसोपोटामिया की सभ्यता की समानता के प्रमाण बेलनाकार बर्तन मिलते हैं।
- यहां पर एक कपाल मिलता है जिसमें छ: प्रकार के छेद थे। जिससे अनुमान लगाया जाता है कि यहां के लोग शल्य चिकित्सा से परिचित थे अर्थात् शल्य चिकित्सा के प्राचीनतम प्रमाण इसी सभ्यता से मिलते हैं।
- यहां पर एक सिक्का प्राप्त होता है जिस के एक और स्त्री का चित्र है तथा दूसरी ओर चीता का चित्र बना हुआ है अर्थात् अनुमान लगाया जा सकता है कि यहां पर परिवार की मातृसत्तात्मक प्रणाली का प्रचलन था।
- कालीबंगा सभ्यता को सिंधु सभ्यता की तीसरी राजधानी कहा जाता है।
- कालीबंगा सभ्यता में इस सभ्यता में पुरोहित का प्रमुख स्थान होता था।
- इस सभ्यता के लोग मध्य एशिया से व्यापार करते थे, इसका प्रमाण सामूहिक तंदूर से मिलता है क्योंकि तंदूर मध्य एशिया से सम्बंधित है।
- इस सभ्यता के भवनों का फर्श सजावट एवं अलंकृत के रूप में मिलता है।
Kalibanga Sabhyata Map
Kalibanga Sabhyata Map हमें इस प्राचीन सम्राट की सुसंगतता और स्थिति को समझने में सहायक हो सकता है। कालीबंगा सभ्यता का नक्शा हमें यह बताता है कि कालीबंगा सभ्यता कहां स्थित है और इसकी सीमाएं क्या हैं। इसके माध्यम से हम यह भी जान सकते हैं कि इस सभ्यता की स्थानीय प्रबंधन और सड़क नेटवर्क कैसा था। कालीबंगा सभ्यता का मानचित्र हमें इसके सामाजिक और आर्थिक व्यवस्था की बेहतर समझ प्रदान करता है जो हमें इस समृद्धि भरे समाज के रूपरेखा को समझने में मदद कर सकता है। इसमें जगहों की सही स्थान, नदी, और अन्य सामग्री के साथ सम्बंधित जानकारी शामिल होती है जो हमें कालीबंगा सभ्यता के विकास के संकेत को समझने में सहायक हो सकती हैं।
Kalibanga Sabhyata Notes: Baat, Seals, Terrakotta, Antyshti Sthal, Copper Bull and House Photos
इस स्थल पर पाए गए अन्य खदानों में तांबे के बैल, जो जानवर की गतिशील भावना को दर्शाते हैं, विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। इसके अलावा, यहां से शैलीकृत और अग्रणी तांबे के औजार भी पाए गए थे।
कालीबंगा की टेराकोटा कला उस समय की अनूठी और समृद्धिशील सांस्कृतिक विरासत को प्रस्तुत करती है। कालीबंगा सभ्यता के नोट्स मे हम देखेंगे, यहां पाई जाने वाली टेराकोटा आभूषण, मूर्तियाँ, और अन्य कलाएं सांस्कृतिक सृष्टि के सुंदर आभूषण के रूप में प्रष्ठित होती हैं। इन आदि-शृंगारी रचनाओं में नृत्य, संगीत, और धार्मिक तत्वों का सुंदर संघटन होता है, जो कालीबंगा सभ्यता के विकास और जीवनशैली को साकार करता है। इस टेराकोटा कला में ब्रॉन्ज रंग, सफेद, और काले रंगों का उपयोग कालीबंगा के सांस्कृतिक सृजन को और भी आकर्षक बनाता है। यह कला न केवल कला कुशलता को प्रमोट करती है बल्कि समय की गहरी रूप से पूजी जा रही सभ्यता के आभूषण की अद्भुत विरासत को भी दर्शाती है।
कालीबंगा सभ्यता PDF
“कालीबंगा सभ्यता PDF” एक महत्वपूर्ण स्रोत है जो हमें इस प्राचीन सभ्यता के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करता है। यहां हम जान सकते हैं कि “कालीबंगा सभ्यता” किस नदी के किनारे स्थित है और इसकी मुख्य विशेषताएं क्या हैं। इस PDF में हमें यह भी मिलता है कि कब और कैसे किसने “कालीबंगा सभ्यता” की खोज की थी और इसके संस्कृति में कैसे विकास हुआ। “Sindhu sabhyata mein godi kahan se mila hai” इस प्रश्न का उत्तर भी इस PDF में दिया गया हो सकता है, जो इस सभ्यता की एक अद्वितीय विशेषता हो सकती है। “कालीबंगा सभ्यता Gk” भी इसमें शामिल होने वाला है, जिससे छात्रों को इस सभ्यता के सामान्य ज्ञान में वृद्धि हो सकती है।
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कालीबंगा सभ्यता के नोट्स से पूछे जाने वाले प्रश्न
कालीबंगा के खोजकर्ता कौन है?
इस सभ्यता की सबसे पहले जानकारी देने वाले एक पुरातत्ववेत्ता एवं भाषा शास्त्री लुईस पीयो तैस्सीतोरी थे। इन्होंने इस सभ्यता के बारे में सबसे पहले परिचय दिया। लेकिन इस सभ्यता की तरफ किसी का पूर्णरूप से ध्यान नहीं था इसलिए इसकी खोज नही हो पाई। कालीबंगा सभ्यता के खोजकर्ता अमलानंद घोष है। उन्होनें 1952 में सबसे पहले इस सभ्यता की खोज की थी।
कालीबंगा क्यों प्रसिद्ध है?
कालीबंगा अपनी महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्वता के कारण प्रसिद्ध है। कालीबंगा राजस्थान के हनुमानगढ़ ज़िले का एक प्राचीन एवं ऐतिहासिक स्थल है। यहाँ पर होने वाली खुदाई ने विभिन्न कालों में इस स्थल की महत्वपूर्णता को उजागर किया है और कालीबंगा से प्राप्त खगोलशास्त्रीय, ऐतिहासिक, और सांस्कृतिक आकृतियों ने इसे एक महत्वपूर्ण अध्ययन स्थल बना दिया है।
कालीबंगा का दूसरा नाम क्या है?
कालीबंगा का दूसरा नाम सिंधु सरस्वती सभ्यता है। कालीबंगा की सभ्यता भारत की ऐसी पहली सभ्यता स्थल है जो स्वतंत्रता के बाद खोजी गई थी। यह एक कास्य युगीन सभ्यता है।
कालीबंगा की खुदाई कितनी बार हुई?
कालीबंगा की खुदाई सर्वप्रथम 1952 ई. में अमलानन्द घोष ने की थी। उसके बाद बी.के थापर व बी.बी लाल ने 1961-69 में यहाँ उत्खनन का कार्य किया।